Header

मेरा शीश नवा दो अपनी (गीतांजलि)

मेरा शीश नवा दो अपनी (गीतांजलि)


मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
अपने को गौरव देने को
अपमानित करता अपने को,
घेर स्वयं को घूम-घूम कर
मरता हूं पल-पल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।
अपने कामों में न करूं मैं
आत्म-प्रचार प्रभो;
अपनी ही इच्छा मेरे
जीवन में पूर्ण करो।
मुझको अपनी चरम शांति दो
प्राणों में वह परम कांति हो
आप खड़े हो मुझे ओट दें
हृदय-कमल के दल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब
मेरे आँसू-जल में।

No comments:

Post a Comment

Keep it concise

Chintu ❤️

झूठ बोल रही है सबसे.....🥺

झूठ बोल रही है सबसे ,सच क्या है तूने बताया नही!  साथ रहने का किया जो वादा, वो वादा तूने निभाया नही!  गली मे तो तू आना चाहती थी ,लेकिन मैने त...