भटकती फिरती है मोहब्बत हवस के नाम पर
दो रूहो का मिलन देखे जमाना बीत गया
रस्मों रिवाज की जो परवाह करते हैं
प्यार में वो लोग गुनाह करते हैं
इश्क वो जुनून है जिसमें दीवाने
अपनी खुशी से खुद को तबाह करते हैं
आदत नई हमे पीठ पीछे वार करने की
दो शब्द काम बोलते है पर सामने बोलते है
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